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कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे-अस्थिर सुखसुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?


दग्ध हृदय (दग्ध दुःख की अधिकता बताता है।)

निर्दय विप्लव (निर्दय-विशेषण विप्लव की हृदय हीनता को दर्शाता है।)

ऊँचा सिर (ऊँचा-विशेषण गर्व भावना को दर्शा रहा है।)

घोर वज्र-हुंकार (वज्र हुंकार की सघनता को दर्शाने के लिए ‘घोर’ विशेषण का प्रयोग)।

अचल शरीर (शरीर ‘अचल’ बताकर उसे निश्चल बताया गया है।)

आतंक भवन (भवन को आतंक का केंद्र बताने के लिए ‘आतंक’ विशेषण)।

सुकुमार शरीर (शरीर की कोमलता दर्शाने के लिए बच्चे के शरीर को सुकोमल बताया गया है।)

जीर्ण बाहु

शीर्ण शरीर (शरीर की दुर्बल अवस्था के लिए जीर्ण-शीर्ण-विशेषण।)

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इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बतायें बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?


सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।


दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया-

जग के दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

यह तेरी रण-तरी,

भरी आकांक्षाओं से,

धन, भेरी-गर्जन से सजग, सुप्त अंकुर

उर में पृथ्वी के, आशाओं से,

नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,

ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

फिर फिर!


दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
बार-बार गर्जन,

वर्षण है मूसलाधार

हृदय थाम लेता संसार

सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।

अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,

क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,

गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।


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