अशनि-पात अर्थात् बिजली के गिरने से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ तक घायल होकर गिर पड़ते हैं।
इस पंक्ति में पूँजीपतियों के पतन की ओर संकेत किया गया है। क्रांति के आने पर बड़े-बड़े दंभी पूँजीपतियों का भी बुरा हाल हो जाता है। शोषक वर्ग (पूँजीपति) भी धराशायी हो जाते हैं। उनके उच्च होने का गर्व चूर-चूर हो जाता है। इस पंक्ति में ‘अशनि-पात’ क्रांति की ओर संकेत कर रहा है।
बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया।