कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
अथवा
‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए कि कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक को ढोर चराते हुए, खेतों में पानी लगाते हुए या दूसरे काम करते हुए अकेलेपन की स्थिति बहुत खटकती थी। उसे कोई भी काम करना तभी अच्छा लगता था जबकि उसके साथ कोई बोलने वाला, गपशप करने वाला या हँसी-मजाक करने वाला हो। कविता के प्रति लगाव हो जाने के बाद उसकी मानसिकता में बदलाव आ गया था। उसे अब अकेलेपन से कोई ऊब नहीं होती थी। वह अपने आप से खेलना सीख गया था। पहले से उलट वह अकेला रहना अच्छा मानने लगा था। अकेले रहने से उसे ऊँची आवाज में कविता गाने अभिनय करने या नाचने की स्वतंत्रता का अनुभव होता था जो उसे असीम आनंद से भर देते थे।
‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केन्द्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?
अथवा
‘जूझ’ कहानी के लेखक में कविता-रचना के प्रति रुचि कैसे उत्पन्न हुई? पाठ के आधार पर बताइए।
श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें, जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।
अथवा
कविता के प्रति रुचि जगाने में शिक्षक की भूमिका पर ‘जूझ’ कहानी के आधार पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री सौंदलगेकर के व्यक्तित्व की उन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए जिनके कारण ‘जूझ’ के लेखक के मन में कविता के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ।
अथवा
श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं का उल्लेख करें जिन्होंने कविताओं के प्रति ‘जूझ’ पाठ के लेखक के मन में रुचि जगाई।
आपके ख्याल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
अथवा
आपके विचार से पड़ाई-लिखाई के संबंध में ‘जूझ’ पाठ के लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दीजिए।