धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच क्यों नहीं करते?
भारतवर्ष में सदा कानून को धर्म के रूप में देखा गया है। यहाँ कभी भी धर्म और कानून को अलग-अलग करके नहीं देखा। अत: कानून का पालन करना धर्म माना गया है। पर आज वर्तमान में कानून और धर्म को अलग-अलग कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, पर कानून को धोखा देने मे किसी को भी संकोच नहीं होता। यही कारण है कि धर्म-भीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते।
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