कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
कवि को स्वयं पर दृढ़ विश्वास है कि वह अपनी कर्तव्यपरायणता तथा सक्रियता से विमुख होकर अपनै जीवन का अंत नहीं होने देगा। वह तो अपने यशस्वी कार्यो की आभा को वसंत की भाँति सुगंधित रूप में सब और फैलाना चाहता है।
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