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मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?


बदलू एक मनिहार अर्थात् चूड़ियाँ बनाने वाला था। उसकी बनाई लाख की रंग-बिरंगी चूड़ियाँ इतनी प्रसिद्ध थीं कि उसके गाँव के साथ-साथ दूसरे गाँवों से भी स्त्रियाँ उसकी बनाई चूड़ियाँ लेने आती थीं। अचानक मशीनी युग आन से मशीन पर बनी काँच की चूड़ियाँ अधिक बिकने लगीं और बदलू की चूड़ियाँ सबने लेनी बंद कर दीं। ऐसा होने पर उसका पैतृक पेशा जाता रहा। उसे अपना काम ही बंद करना पड़ा। अब हरदम प्रसन्नचित्त रहने वाला बदलू मन ही मन व्यथित रहने लगा।
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बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलूो काे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?

वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?

‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं’ -इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया हैं? 

बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।

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