‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’-पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’ अर्थात् गोपी का यशोदा को यह कहना कि क्या तुम्हारा पुत्र ही अनोखा है? इसमें गोपी का शिकायत रूप में उलाहना का भाव मुखरित हो रहा है।
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श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
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