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नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए -
जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।


व्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज्जत का महत्त्व सम्पत्ति से अधिक हैं। परन्तु आज  समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोग अपने सामर्थ्य के बल अनेक टोपियाँ (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं।

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सही कथन के सामने (✓) का निशान लगाइए अथवा सही उत्तर लिखिए: 
(क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
(ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
(ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
(घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो ?




नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?

नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए -
तुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।


हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?

 


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