'रस्सी' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
रस्सी यहाँ पर मानव के नाशवान शरीर के लिए प्रयुक्त हुई है और यह रस्सी कब टूट जाए कहा नहीं जा सकता है। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ सकता है ।
कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है?
भाव स्पष्ट कीजिए-
खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अंहकारी।
कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
भाव स्पष्ट कीजिए -
जेब टटोली कौड़ी न पाई।