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निम्नलिखित पंक्तिओं का भाव पक्ष लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी


भाव पक्ष -कवि आदमी के भिन्न-भिन्न रंग-रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं-कि इस दुनिया में तरह-तरह के आदमी हैं। जो लोगों का बादशाह बना बैठा है, वह भी आदमी है उसके पास दुनिया भर की दौलत और अधिकार है। दूसरी ओर जो बिल्कुल गरीब, भिखारी है वे भी आदमी हैं। जिसके पास बहुत दौलत है, वह भी आदमी है जो बिलकुल कमज़ोर है, वह भी आदमी है। जो स्वादिष्ट भोजन खा रहा है।, वह भी आदमी है और जिसे सूखी रोटी के टुकड़े चबाने को मिल रहे हैं, वह भी आदमी है।
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निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए:
मसज़िद भी आदमी ने बनाई है या, मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी हो कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको, ताड़ता  है सो है वो भी आदमी

कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?

 

निम्नलिखित पंक्तिओं का शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

आदमी का आचरण कैसा होना चाहिए? कविता के आधार पर लिखिए।

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