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निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए:
मसज़िद भी आदमी ने बनाई है या, मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी हो कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको, ताड़ता  है सो है वो भी आदमी


भाव पक्षकवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रंग रूपो व स्वभाव का वर्णन करते हुए कहता है, कि इस दुनिया में मसज़िद बनाने वाला भी आदमी है, वह भी आदमी है जो मसज़िद में बैठ कर नमाज़ पढ़ता है और जो कुरान शरीफ का अर्थ समझाता है, वह भी आदमी है। जो सामान्य मुसलमान उन इमामों से कुरान का अर्थ सुनते हैं और नमाज़ पड़ते हैं, वे भी आदमी हैं। इन सबके विपरीत जो दुष्ट मसजिद में आकर इमामों, नमाजियों की जूतियाँ चुरा कर ले जाते हैं, वे भी आदमी हैं, जो लोग ऐसे चोरों पर नज़र रखते हैं, वे भी आदमी हैं।
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निम्नलिखित पंक्तिओं का शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

निम्नलिखित पंक्तिओं का भाव पक्ष लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

आदमी का आचरण कैसा होना चाहिए? कविता के आधार पर लिखिए।

कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?

 

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