Advertisement

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गुलाब क्या सोचता है?


  • अपनी कहानी सुनाने की
  • वाणी न होने का कारण
  • पतझड़ के सपनों का गीत सुनाने की
  • पतझड़ के सपनों का गीत सुनाने की


C.

पतझड़ के सपनों का गीत सुनाने की
110 Views

Advertisement
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?

गीत से तात्पर्य है-
  • सस्वर गाना
  • मन में गाना
  • धीरे से गाना
  • धीरे से गाना

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
तटिनी गीत गाती है?


  • विरह 
  • प्रेम
  • श्रृंगार
  • श्रृंगार

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
नदी के गीत को क्या नाम दिया गया है?


  • प्रेम
  • प्रसन्नता
  • उल्लास
  • उल्लास

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
विरहिणी के गीतों को कौन सुनता है?


  • पत्थर 
  • किनारे
  • नदी का तल
  • नदी का तल

First 1 2 3 Last
Advertisement