निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
बुढ़िया खरबूज़े बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर रो रही थी।
कल जिसका बेटा चल बसा, आज वह बाजार में सौदा बेचने चली है, हाय रे पत्थर-दिल!
उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाजा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उन्हें पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग से पूछा आ जाती थी और मूर्छा ने आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुक सकते थे। दो-दो डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे। हरदम सिर पर बरफ़ रखी जाती थी। शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे।
जब मन को सूझ का रास्ता नहीं मिलता तो बेचैनी से कदम तेज हो जाते हैं। उसी हालत में नाक ऊपर उठाए, राह चलतों से ठोकरें खाता मैं चला जा रहा था। सोच रहा था-
शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और.... दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) बुढ़िया को पत्थर दिल क्यों कहा गया है वह क्यों रो रही थी?
(ग) संभ्रात महिला ने पुत्र-शोक में कैसा व्यवहार किया?
(घ) संभ्रात महिला के दुःख को दूर करने के लिए कैसे-कैसे प्रयत्न किए गए?
(ङ) लेखक ने किसके लिए सहूलियत की माँग की हे और क्यों?
(क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल।
(ख) बुढ़िया की स्थिति से अनजान लोगों ने उसे पत्थर दिल कहा। लोगों को इतना ही पता था कि एक दिन पहले बुढ़िया का जवान बेटा मरा है। और अगले दिन वह खरबूजे बेचने आ गई है। उसे लागों ने कठोर माँ समझा। परन्तु वे उसकी मज़बूरी न समझ सके। बुढ़िया इसलिए रो रही थी क्योंकि उसका जवान बेटा मर गया था।
(ग) संभ्रात महिला पुत्र-शोक से मूर्च्छित हो गई। उसे पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद मूर्छा आ जाती थी। इस प्रकार पुत्र वियोग के कारण उसने ढाई मास पलंग पर बिता दिए।
(घ) संभ्रांत महिला के दुःख को कम करने के लिए अनेक डॉक्टर बुलाए गए। दो-दो डॉक्टर हमेशा उसके सिरहाने बैठे रहते थे। उसके सिर पर हमेशा बर्फ रखी जा रही थी। इस प्रकार उसे प्रयत्न करके सँभाला जा रहा था।
(ङ) लेखक ने समाज के प्रत्येक दुखी व्यक्ति को अपना दुःख मनाने का अवसर देने की माँग की है। इस प्रकार शौक मनाने की सुविधा मिलने से उसके मन पर पड़ा दुःख का भार कम हो जाएगा। जैसे रोने से मन हल्का हो जाता है वैसे ही शोक मनाने से दुःख दूर हो जाता है।
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