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रामन् पर अपने पिता के संस्कारों का क्या योगदान था?


रामन् के पिता गणित तथा भौतिकी के प्रोफेसर थे। उन्होंने रामन् को ये दोनों विषय गहरी रुचि से पढ़ाए थे। रामन् ने वाद्ययंत्रों से संबंधित खोज में गणित और भौतिकी दोनों का उपयोग किया। इसी प्रकार रामन् प्रभाव में भी दोनों विषयों का बराबर उपयोग था। अत: हम कह सकते हैं कि रामन् की सफलता में उनके पिता के संस्कारों का पूरा योगदान था।
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विज्ञान के चेतना वाहक के रूप में विविध वैज्ञानिकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए?

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश कि किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुज़रती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। वजह यह होती है कि एकवर्णीय प्रकाश कि किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस रवे से गुजरते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती है। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंजनी रंग के प्रकाश में होती है। बैंजनी के बाद क्रमश: नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है। इस प्रकार लाल-वर्णीय प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है। एकवर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुजरते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है, उसी हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है।
प्रसन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) रामन ने पानी के रंग बदलने का कौन-सा कारण खोजा?
(ग) ठोस रवे या तरल पदार्थ से गुजरते समय प्रकाश के फोटॉन में क्या परिवर्तन होता है?
(घ) आप रंगों, की क्या विशेषता जानते है?दफ़्तर
 

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
कलकत्ता में सरकारी नौकरी के दौरान उन्होंने अपने स्वाभाविक रुझान को बनाए रखा। दफ़्तर से फुर्सत पाते ही वे लौटते हुए बहू बाज़ार आते, जहाँ ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला थी। यह अपने आप में एक अनूठी संस्था थी, जिस कलकत्ता के एक डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार ने वर्षों की कठिन मेहनत और लगन के बाद खड़ा किया था। इस संस्था का उद्देश्य था देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना अपने महान् उद्देश्यों के बावजूद इस संस्था के पास साधनों का नितांत अभाव था। रामन् इस संस्था की प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते। यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था, जिसमें एक साधक दफ्तर में कड़ी मेहनत के बाद बहू बाजार की इस मामूली-सी प्रयोगशाला में पहुँचता और अपनी इच्छाशक्ति के जोर से भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के प्रयास करता। उन्हीं दिनों वे वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट हुए। वे वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अनेक वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया जिनमें देशी और विदेशी, दोनों प्रकार के वाद्ययंत्र थे। 
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) रामन कलकत्ता में कहाँ प्रयोग करने जाते थे?
(ग) प्रयोगशाला को कामचलाऊ क्यों कहा गया है?
(घ) आधुनिक हठयोग किसे कहा गया है?
दफ़्तर
 

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
पेड़ से सेब गिरते हुए लोग सदियों से देखते आ रहे थे, मगर गिरने के पीछे छिपे रहस्य को न्यूटन से पहले कोई और समझ नही पाया था। ठीक उसी प्रकार विराट समुद्र की नील-वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए सर चंद्रशेखर वेंकट रामन्।
बात सन् 1921 की है, जब रामन् समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृति-प्रेमी रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते। लेकिन रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते। लेकिन रामन् केवल भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे। उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी- ‘आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?’ रामन् सवाल का जवाब ढूँढने में लग गए। जवाब ढूँढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) न्यूटन ने किस जिज्ञासा से कौन-सा सिद्धांत खोजा था?
(ग) रामन् के व्यक्तित्व के गुणों पर प्रकाश डालिए?
(घ) लेखक ने रामन् को भावुक प्रकृति-प्रेमी क्यों कहा है?



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