स्त्री माया जोड़ने मे विश्वास करती है। यहाँ ‘माया’ शब्द मैं धन संपत्ति एव वस्तुओं के सग्रह की ओर संकेत है। वैसे माया जोड़ना सभी प्राणियो का प्रकृति प्रदत्त गण है पर स्त्रियाँ परिस्थितिवश भी माया जोड़ती हैं। वे परिस्थितियाँ निम्नलिखित हो सकती हैं-
- अंतर्निर्भरता की पूर्ति।
- भविष्य की सुरक्षा।
- अनिश्चि भविष्य।
- संग्रह की प्रवृत्ति की संतुष्टि।
- दूसरों से बढ्कर दिखाने की प्रवृत्ति।
- अपने अहं की तुष्टि।
- बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए।
- बच्चों के विवाह-शादी के लिए।
आप बाजा़र की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाजा़र और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नज़र आती है?
लेखक ने पाठ में इस ओर संकेत किया है कि कभी-कभी बाजार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
(ग) मन बंद हो, (घ) मन में नकार हो।
‘बाजा़र दर्शन’ पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते हैं?