निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।
जीबन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी:
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण
अवतरण में निहित भावार्थ को स्पष्ट कीजिए।
कवि ने सुख और दुःख को जीवन का आवश्यक हिस्सा माना है। मनुष्य को जीवन में दुःख आने की स्थिति में सुखों को याद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुःख कम नहीं होते बल्कि दुगुने हो जाते हैं।
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