निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य कीजिए-
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
देव ने श्रीकृष्ण की अपार रूप-सुंदरता का वर्णन करते हुए माना है कि उनके पाँच में पाजेब शोभा देती है जो उनके चलने पर मधुर ध्वनि उत्पन्न करती है। उनकी कमर में करघनी मधुर धुन पैदा करती है। उनके सांवले-सलोने शरीर पर पीले रंग के वस्त्र अति शोभा देते है। उनकी छाती पर फूलों की सुंदर माला शोभा देती हैं। ब्रिज भाषा में रचित पंक्तियों में तत्सम शब्दावली की अधिकता है। सवैया छंद और स्वरमैत्री लयात्मकता का आधार है। अभिधा शब्द शक्ति ने कथन को सरलता, सरसता और सहजता प्रदान की है। अनुप्रास अलंकार की स्वाभाविक शोभा प्रकट की गई है।
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