‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’ -इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
काव्य-रूढ़ि है कि सुबह-सवेरे जब कलियाँ फूलों के रूप में खिलती हैं तो ‘चट्’ की ध्वनि करती हुई खिलती हैं। कवि ने इसी काव्य-रूढ़ि का प्रयोग करते हुए बालक रूपी बसंत को प्रात: जगाने के लिए गुलाब के फूलों की सहायता ली है। सुबह गुलाब के खिलते ही चहकने की ध्वनि उत्पन्न होती है। कवि ने इसी से भाव स्पष्ट किया है कि वह चुटकियाँ बजाकर बाल-बसंत को प्यार से जगाता है।
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