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‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’ -इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।


काव्य-रूढ़ि है कि सुबह-सवेरे जब कलियाँ फूलों के रूप में खिलती हैं तो ‘चट्’ की ध्वनि करती हुई खिलती हैं। कवि ने इसी काव्य-रूढ़ि का प्रयोग करते हुए बालक रूपी बसंत को प्रात: जगाने के लिए गुलाब के फूलों की सहायता ली है। सुबह गुलाब के खिलते ही चहकने की ध्वनि उत्पन्न होती है। कवि ने इसी से भाव स्पष्ट किया है कि वह चुटकियाँ बजाकर बाल-बसंत को प्यार से जगाता है।
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दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज बसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत बसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है?

कवि ने ‘श्री ब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?

पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।

निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य कीजिए-
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।


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