Advertisement

सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पड़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अँधेरे बंद दरवाजों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं


प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित हैं। इसमें कवि सबसे खतरनाक स्थिति की और संकेत करता है।

व्याख्या-कवि उस गीत को सबसे खतरनाक बताता है जो हमारे कानों तक पहुँचने के लिए शोक—गीत का रूप ले लेता है। जिन लोगों को नृशंसता और क्रूरता के बलबूते पर आतंकित किया जाता है, वहाँ यह गीत अकड़ दिखाता है। कहीं मरसिए पढ़ना और कहीं अकड़ना। यह दोहरापन खतरनाक स्थिति की ओर संकेत है।

इसी प्रकार कवि उस रात को सबसे खतरनाक बताता है जहाँ उल्लू बोलते हैं और गीदड़ हुआँ-हुआँ करते हैं। यह सुनसान और भयावह वातावरण की ओर संकेत है। दरवाजों और चौखटों पर अंधकार अर्थात् त्रासद स्थिति चिपककर रह जाती है।

विशेष- 1. ‘मरसिए’, ‘जिंदा रूह’, ‘खतरनाक’ जैसे उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है।

2. भाषा में प्रतीकात्मकता का समावेश है।

2246 Views

Advertisement

कवि पाश के जीवन एवं साहित्य का परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का नाम लिखिए।


सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सबकुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोजमर्रा के कम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलट-फेर में खो जाती है।
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए रंगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है


सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है


मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता


First 1 Last
Advertisement