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दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?


’दिल के भोलेपन’ में सहजता का भाव है। ‘अक्खड़पन’ से तात्पर्य अपनी बात पर दृढ़ रहने का भाव है और ‘जुझारूपन’ में संघर्षशीलता की झलक मिलती है। ये तीनों विशेषताएँ आदिवासी समाज की विशिष्ट पहचान हैं। इनको बचाए रखना आवश्यक है। इसीलिए कवयित्री ने इन पर बल दिया है।

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भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?


इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है-से क्या आशय है?

प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है?


‘माटी का रंग’ प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?

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