Advertisement

क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?


भले ही ‘वर्तमान में फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल का चलन बढ़ता जा रहा है। लोग सुविधानुसार अपने कार्यो को करने के लिए इन साधनों का प्रयोग करने लगे हैं लेकिन यह भी सत्य है कि पत्रों का चलन कम नहीं हो सकता। पत्रों की अपनी दुनिया है जिसमें विश्व स्तर तक वे अपना विस्तार पाते है। आज व्यापारिक व विभागीय कार्यो की प्रत्येक सूचना पत्रों द्वारा ही पहुँचाई जाती है। डाक विभाग के साथ-साथ कोरियर कंपनियाँ भी चाहे काम करती रहें लेकिन डाक विभाग का अपना महत्त्व है। पत्रों का चलन न कभी कम हुआ था, न कम है और न कभी कम होगा।
1279 Views

Advertisement
पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता?

पत्र को खत, कागद, उत्ताम, जादू, लेख, कडिद, पाती, चिट्टी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।

पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हए? लिखिए।

पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।

First 1 2 3 Last
Advertisement