कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?
कहानी का अंत और आरंभ पढ़कर हम इसी नतीजे पर पहुँचे हैं कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते समय सूर्य की प्रतीक्षा कर रही थी। बूँद सूर्य का ताप पाते ही भाप बनकर उड़ना चाहती थी।
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