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‘गीत-अगीत’ कविता में प्राकृतिक सौंदर्य व मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति किन भावों में की गई है? अपने शब्दों में लिखिए।


‘गीत-अगीत’ कविता में कवि ने प्राकृतिक सुषमा की अनुभूति का वर्णन किया है। नदियों के रूप में पेड़-पौधों का नैसर्गिक-सौंदय वर्णित किया गया है। दूसरी ओर पशु-पक्षियों के माध्यम से ऐसे गीत का समाँ बाँधा गया है जो प्रेम का आभास कराता है। मनुष्य भी गीत की राग-अनुभूति द्वारा प्रेम-व्यवहार करता है। गीत ऐसी शैली है जो दूसरों के मन को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है।
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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?



निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?



इस कविता में किन-किन को गीत गाने वाला कहा गया है?

अगीत की स्थिति किन-किन पात्रों में घटित होती है?

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