गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
शिल्प सौन्दर्य-
1. प्रस्तुत पद्यांश में प्राकृतिक सौन्दर्य जीवन्त हो उठा है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
6. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
8. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?