निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-
पेड़ से सेब गिरते हुए लोग सदियों से देखते आ रहे थे, मगर गिरने के पीछे छिपे रहस्य को न्यूटन से पहले कोई और समझ नही पाया था। ठीक उसी प्रकार विराट समुद्र की नील-वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए सर चंद्रशेखर वेंकट रामन्।
बात सन् 1921 की है, जब रामन् समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृति-प्रेमी रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते। लेकिन रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते। लेकिन रामन् केवल भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे। उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी- ‘आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?’ रामन् सवाल का जवाब ढूँढने में लग गए। जवाब ढूँढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) न्यूटन ने किस जिज्ञासा से कौन-सा सिद्धांत खोजा था?
(ग) रामन् के व्यक्तित्व के गुणों पर प्रकाश डालिए?
(घ) लेखक ने रामन् को भावुक प्रकृति-प्रेमी क्यों कहा है?
(क) पाठ-वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्रशेखर वेंकट रामन्, लेखक-धीरंजन मालवे।
(ख) न्यूटन के मन में यह जिज्ञासा उठी थी कि सेब पेड़ से नीचे ही क्यों गिरता है। वह ऊपर क्यों नहीं उठता। इसी जिज्ञासा को लेकर उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज की।
(ग) रामन के व्यक्तित्व के दो गुण प्रमुख थे-
- वे प्रकृति के गहरे भावुक प्रेमी थे। वे घंटों-घंटों समुद्री जल के नीले रंग को निहारते रहते थे।
- उनमें प्रकृति के रहस्यों को जानने की तीव्र इच्छा थी।
(घ) लेखक ने रामन् को भावुक प्रकृति प्रेमी इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें जहाज के डेक पर खड़े होकर समुद्र को निहारना अच्छा लगता था। वे घंटों-घंटों समुद्र की नीली आभा में खोए रहते थे।
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