हालदार साहब चश्मे वाले की देशभक्ति के प्रति क्यों नतमस्तक थे?
नगरपालिका वालों ने चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने की योजना बनाई। उन लोगों ने मूर्ति बनाने का कार्य कस्बे के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को दे दिया। मोतीलाल जी ने भी एक महीने में सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति बना दी। मूर्ति बनाते समय उससे एक भूल हो गई कि वह नेता जी का चश्मा बनाना भूल गया। चश्मे के बिना नेता जी की मूर्ति अधूरी थी। उने इस अधूरपेन को कैप्टन चश्मे वाला अपने ढंग से पूरा करता है। हालदार साहब उसकी इस देशभक्ति की भावना के आगे नतमस्तक थे।
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