नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।। आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सों, “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।।पोटरि काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधा रस भीने।पाछिलि बानि अजाै न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे।।”गुरुमाता द्वारा चने दिए जाने का प्रसंग क्या है? - Zigya
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नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।
चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।

आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।
स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सों, “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।।
पोटरि काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधा रस भीने।
पाछिलि बानि अजाै न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे।।”
गुरुमाता द्वारा चने दिए जाने का प्रसंग क्या है?

  • जब श्रीकृष्ण और सुदामा गुरुकुल में पढ़ते थे तो उन्हें गुरुमाता ने चने दिए जंगल में लकड़ी तोड़ते समय खाने हेतु।
  • कृष्ण की बहादुरी पर प्रसन्न होकर गुरुमाता ने उन्हें चने दिए।
  • सुदामा गरीब होने के कारण चने ही खाता था।
  • सुदामा गरीब होने के कारण चने ही खाता था।


A.

जब श्रीकृष्ण और सुदामा गुरुकुल में पढ़ते थे तो उन्हें गुरुमाता ने चने दिए जंगल में लकड़ी तोड़ते समय खाने हेतु।
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