निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
हिरण संगीत पर मुग्ध होकर शिकारियों को अपना जीवन तक दे देते हैं अर्थात अपना अस्तित्व समर्पित कर देता है तथा मनुष्य दूसरों पर प्रसन्न होकर धन देता है और हित भी करता है किन्तु जो दूसरों पर प्रसन्न होकर भी उसे कुछ नहीं देता, वह पशु तुल्य है।
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