‘बगुलों के पंख’ कविता को पढ़ने पर आपके मन में कैसे चित्र उभरते हैं? उनकी किसी भी अन्य कला माध्यम में अभिव्यक्ति करें।



’बगुलों के पंख’ कविता को प’बगुलों के पंख’ कविता को पढ़ने पर हमारे मन में आसमान में छाए काले-काले (कजरारे) बादलों का चित्र उभरता है।


’बगुलों के पंख’ कविता को प संध्याकालीन दृश्य का चित्र भी उभरता है।


’बगुलों के पंख’ कविता को प काले बादलों के बीच तैरते सफेद-सफेद बादल खंड बगुलों के समान प्रतीत होते हैं।

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जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता है। कविता में से रूपक का चुनाव करें।


कविता में रूपक

- छोटा मेरा खेत चौकोना कागज का एक पन्ना। (कागज रूपी खेत)

- शब्द के अंकुर फूटे (शब्द रूपी अअंकुर)

- कल्पना के रसायनों को पी (कल्पना रूपी रसायन)

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कवि ने कागज की तुलना किससे की है और क्यों?


कवि ने कागज की तुलना अपने छोटे चौकोने खेत से की है। कागज भी चौकोर होता है। वह खेत के समान ही लगता है।

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शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारी ऐंद्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।


बिंब

नम में पाँति बाँधे बगुलों के पंख

चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें

कजरारे बादलों की छाई नभ छाया

तैरती ससाँझकी सतेज श्वेत काया।

(नम में उड़ती बगुलों की पंक्ति का बिंब)

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कवि के अनुसार बीज की रोपाई का क्या परिणाम होता है?


कवि के अनुसार बीज की रोपाई करने के बाद वह अंकुरित होता है। इसके बाद वह पुष्पित-पल्लवित होता है।

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