ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
ईश्वर के लिए जूही के फूल के दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार उसकी सुंदरता, कोमलता एवं महक है। जूही का फूल अपनी सुंदरता से सबका मन मोह लेता है। उसकी कोमलता एवं महक भी देखते बनती है। ईश्वर में भी ये सभी गुण विद्यमान हैं। वह हमें अपनी ओर आकर्षित करता है।
‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’ पंक्ति का आशय यह है कि जब व्यक्ति को इंद्रियों की दासता से मुक्ति का अवसर मिले, उसे इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए।
कवयित्री भगवान शिव का संदेश लेकर आती है और लोगों को यह अवसर प्रदान करती है कि वे इंद्रियों की दासता से मुक्ति प्राप्त कर लें। अवसर पर चूक जाने वाला व्यक्ति जीवन- भर पछताता है।
लक्ष्य-प्राप्ति में इंद्रीयाँ बाधक होती हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।
लक्ष्य की प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं-यह कथन बिल्कुल सत्य है। इंद्रियाँ व्यक्ति को विषय-वासनाओं के जाल में उलझाती हैं। इंद्रियों का सुख व्यक्ति को भ्रमित करता है। उसे इन चीजों में आनंद आता जाता है और वह ईश्वर-प्राप्ति के लक्ष्य में पिछड़ता चला जाता है। कोई भी लक्ष्य तब तक नहीं पाया जा सकता जब तक इंद्रियों पर नियंत्रण न हो जाए। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनि घर गृहस्थ को त्यागकर तप करने जाते रहे हैं। यदि व्यक्ति में प्रबल कामना हो तो वह घर में रहकर भी इंद्रियों पर काबू पा सकता है और लक्ष्य-प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकता है।
‘अपना घर’ से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?
‘अपना घर’ से तात्पर्य है-मोह ममता का संसार। व्यक्ति इस घर के आकर्षण-जाल में उलझकर रह जाता है और ईश्वर-प्राप्ति के लक्ष्य में पिछड़ जाता है। कवयित्री इस घर अर्थात् मोह-ममता को मूलने की बात कह रही है ताकि वह निस्पृह भाव से अपने आराध्य शिव की उपासना कर सके और उसे पा सके।
दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
सरे वचन में ईश्वर से यह कामना की गई है कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कर दे जिनमें पड़कर उसका अहंकार गलकर समाप्त हो जाए। वह दूसरों से मिलने वाली वस्तु तक से वंचित हो जाए। उसकी झोली खाली ही रह जाए। ये स्थितियाँ उसे वास्तविकता के धरातल पर ला खड़ा करेंगी और उसका अहंकार मिट जाएगा तथा उसे शिव की प्राप्ति हो जाएगी।