कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि जब पतंग उड़ती है तो बच्चों का मन भी उसके साथ उड़ता है। पतंग उड़ाते समय वे अत्यधिक उत्साहित हो जाते हैं। उनका मन भी पतंग के साथ- साथ उड़ता है। बच्चे पतंग के साथ पूरी तरह जुड़े रहते हैं। इसके साथ उनका अटूट संबंध बन जाता है। पतंग के आकाश में ऊपर जाते समय बच्चों का मन भी हिलोरे लेने लगता है। उन्हें पतंग के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देता।
बिंब स्पष्ट करें-
सबसे तेज बौछारें गईं भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके।
प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने गतिशील बिंब की योजना की है। यह चाक्षुस बिंब है। भादों मास के जाते ही सवेरा अपनी परी चमक के साथ प्रकट होने लगता है। शरद् का प्रात: लीन सूर्य लाल चमकीला होता है। इसे देखकर खरगोश की आँखों का बिंब सामने उभरता है। शरद् ऋतु के आगमन में उस बालक का बिंब साकार होता है जो अपनी नई साइकिल चलाता, घंटी बजाता आता है। मुलायम वातावरण में ही कोई चीज ऊपर उठ पाती है। मुलायम आकाश की कल्पना मनोहर है। इसमें पतंग का उड़ना एक अनोखे दृश्य की सृष्टि करता है।
बच्चे अपने जन्म से ही अपने साथ कपास लाते हैं-कपास से बच्चों का संबंध कोमलता, नाजुकता से बन सकता है। कपास की प्रकृति निर्मल निश्छल एवं कोमल होती है। बच्चे भी इसी प्रकृति के होते हैं। बच्चे भी कपास की भांति कोमल एवं स्वच्छ मन होते हैं वे निष्कपट होते हैं। कपास नरम और मुलायम होती है तथा बच्चे भी जन्म से सुकुमार होते हैं। अत: दोनों में गहरा संबंध है।
‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें।
भादों के महीने में तेज वर्षा होती है बौछारें पड़ती हैं। बौछारों के जाते ही भादों का महीना समाप्त हो जाता है। इसके बाद क्वार (आश्विन) का महीना शुरू हो जाता है। इसके आते ही प्रकृति में अनेक प्रकार के परिवर्तन आ जाते हैं-
अब सवेरे का सूरज खरगोश की औंखों जैसा लाल-लाल दिखाई देने लगता है अर्थात् सूरज की लालिमा बढ़ जाती है।
शरद् ऋतु का आगमन हो जाता है। गर्मी से छुटकारा मिल जाता है। ऐसा लगता है कि शरद अपनी साइकिल को तेज गति से चलाता हुआ आ रहा है।
सवेरा चमकीला होने लगता है।
फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं। बच्चे भी तितलियों के समान प्रतीत होते हैं।
सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन बीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?
पतंग हल्की होने पर ही आकाश में उड़ पाती है। वह जितनी हल्की होती है उतनी ही ऊँची और दूर तक जाती है। उसे हल्का बनाने के लिए ही उससे संबंधित सभी चीजों को हल्का और पतला बताया गया है। ये विशेषण पतग को हल्की एवं आकर्षक (रंगीन) बनाते हैं। यह कविता बाल सुलभ चेष्टाओं और क्रियाकलापों का चित्रांकन करती है। बच्चों का मन भी अत्यंत कोमल और हल्का होता है।