बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है’ कैसे?
बात और भाषा का आपस में गहरा संबंध होता है। बात का अभिप्राय स्पष्ट करने के लिए सही भाषा का प्रयोग करना चाहिए किन्तु कई बार ऐसा होता है कि हम भाषा को सहज नहीं रहने देते। हम क्लिष्ट भाषा का प्रयोग कर सीधी सरल बात को भी शब्द-जाल में उलझाकर टेढ़ी बना देते हैं। प्रत्येक शब्द का अपना विशिष्ट अर्थ होता है, भले ही ऊपर से वे समानार्थी या पर्यायवाची प्रतीत होते हों। गलत शब्द का प्रयोग बात को उलझा देता है। शब्दों के चक्कर में उलझकर भाव अपना अर्थ खो बैठते हैं।
बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें -
A. बात की चूड़ी मर जाना | (i) कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
B. बात की पेंच खोलना | (ii) बात का पकड़ में न आना |
C. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना | (iii) बात का प्रभावहीन हो जाना |
D. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना | (iv) बात में कसावट का न होना |
E. बात का बन जाना | (v) बात को सहज और स्पष्ट करना |
A. बात की चूड़ी मर जाना | (i) बात का प्रभावहीन हो जाना |
B. बात की पेंच खोलना | (ii) बात को सहज और स्पष्ट करना |
C. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना | (iii) बात का पकड़ में न आना |
D. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना | (iv) बात में कसावट का न होना |
E. बात का बन जाना | (v) कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
बात से जुड़े कई मुहावरे प्रचलित हैं। कुछ मुहावरों का प्रयोग करते हुए लिखें।
1. बात बिगड़ जाना - तुम्हारी ऊल-जलूल हरकतों से बात बिगड़ जाएगी।
2. बातें बनाना - बातें बनाना कोई तुमसे सीखे।
3. बातों ही बातों में - उमेश ने बातों ही बातों में मेरा मकान खरीद लिया।
4. बात का धनी होना - समाज में उस व्यक्ति का सम्मान होता है जो अपनी बात का धनी होता है।
5. बातों में उड़ाना - तुमने तो मेरे विषय को बातों में ही उड़ा दिया।
व्याख्या कीजिए
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
कुँवर नारायण की कविता ‘‘बात सीधी थी पर’ से अवतरित इन पंक्तियों मे बात के सहज बने रहने में ही उसकी सार्थकता दर्शाई है। जब हम किसी बात को असहज बना देते हैं तब वह उलझकर रह जाती है। जिम प्रकार हम किसी पेंच के कसने में जोर-जबरदस्ती करते हैं तो उसकी चूड़ी मर जाती है और फिर वह ठीक प्रकार से कसा नहीं जाता, ढीला रह जाता हे। यही स्थिति बात की है। जब किसी बात के साथ जोर-जबरदस्ती को जाती है तब बात की धार मारी जाती है। वह अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाती। ऐसा तब होता है जब हम उसे व्यक्त करने क लिए भाषा के उपयुक्त शब्दों का प्रयोग नहीं करते। सही शब्द-प्रयोग ही बात को प्रभावी बनाता है। बलपूर्वक की गई बात महत्त्वहीन हो जाती है। इसका कोई नतीजा नहीं निकलता।
आधुनिक युग की कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।
छात्र कक्षा में इस विषय पर चर्चा करें। आधुनिक युग की कविता में निम्नलिखित संभावनाएँ हो सकती हैं:
□ विषयवस्तु में परिवर्तन।
□ कविता कै शिल्प में परिवर्तन।
□ जीवन के यथार्थ कै साथ जुड़ाव।
□ अभिव्यक्ति का सहज रूप।