चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में बिंबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित कीजिए।
भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय होना ही चाहिए तभी उसका अपेक्षित प्रभाव पड़ता है। इस कार्य में बिंब और उपमान बहुत सहायक है। इनके प्रयोग से कथ्य स्पष्ट एवं प्रभावी बनता है। इनसे काव्य-सौंदर्य निखर उठता है।
- काव्य-बिंब का संबंध भाषा की सर्जनात्मक शक्ति से है तथा इसका निर्माण मनुष्य के ऐन्द्रिक बोध का ही प्रतिफल है। ये शब्द, भाव, विचार के अमूर्त संकेत तो हैं, लेकिन इन अमूर्त संकेंतों में भी वह शक्ति होती है। कि इनके माध्यम से एक मूर्त चित्र निर्मित हो जाता है। यही बिंब निर्माण की प्रक्रिया है।
उपमानों के माध्यम से रचनाकार पाठक के समक्ष ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे वह सरल, बोधगम्य, शब्दांडबर रहित होकर अपनी रचना के लक्ष्य तक पहुँचने में सफल हो जाता है।
सुंदर है सुमन, विहग सुंदर
मानव तुम सबसे सुंदरतम।
पंत की इस कविता में प्रकृति की तुलना में मनुष्य को अधिक सुंदर और समर्थ बताया गया है।
कविता के बहाने’ कविता में इस आशय को अभिव्यक्त करने वाले बिंदुओं की तलाश करें।
कविता के पंख लगा उड़ने के माने चिड़िया क्या जाने?
बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने?
सब घर एक कर देने के माने बच्चा ही जाने।
प्रताप नारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढकर पढ़ें।
विद्यार्थी पुस्तकें लेकर इन पाठों को पढ़ें।
‘नागार्जुन’ की कविता - बातें।
बातें-
हँसी में धुली हुई
सौजन्य चंदन में बसी हुई
बातें-
चितवन में घुली हुई
व्यंग्य बंधन में कसी हुई
बातें-
उसाँस में झुलसी
रोष की आँच में तली हुई
बातें-
चुहल से हुलसी
नेह साँचे में ढली हुई।
बातें-
विष की फुहार सी
बातें-