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भारतीय सिनेमा और विज्ञापनों ने चार्ली की छवि का किन-किन रूपों में उपयोग किया है? कुछ फिल्में [जैसे आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, मिस्टर इंडिया और विज्ञापनों (जैसे चोरी ब्लॉसम)] को गौर से देखिए और कक्षा में चर्चा कीजिए।


विद्यार्थी स्वयं करें।


विद्यार्थी स्वयं करें।

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दरअसल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है।


कला के सिद्धांत बाद में गढ़े जाते हैं। कला तो भावों का सहज उच्छृंखल (Spontaneous overflow of emotions) होती है। उसे बाँधकर नहीं रखा जा सकता।

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... तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है। वाक्य में चार्ली शब्द की पुनरुक्ति से किस प्रकार की अर्थ-छटा प्रकट होती है? इसी प्रकार के पुनरुक्त शब्दों का प्रयोग करते हुए कोई तीन वाक्य बनाइए। यह भी बताइए कि संज्ञा किन परिस्थितियों में विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने लगती है।

गुलाब-गुलाब: शर्म के कारण युवती का चेहरा गुलाब-गुलाब हो गया।

-पानी-पानी: अपनी पोल खुलते ही वह पानी-पानी हो गया।

-डाल-डाल: डाल-डाल पर फूल खिले हैं।

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नीचे दिए वाक्यांशों में हुए भाषा के विशिष्ट प्रयोगों को पाठ के संदर्भ मे स्पष्ट कीजिए:

(क) सीमाओं से खिलवाड़ करना

(ख) समाज से दुरदुराया जाना

(ग) सुदूर रूमानी संभावना

(घ) सारी गरिमा सुई-चुभे गुब्बारे के जैसी फ़ुस्स हो उठेगी।

(ङ) जिसमें रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं।


(क) सीमाओं से छेडछाड नहीं करनी चाहिए।

(ख) चार्ली को समाज से दुरदुराया गया था।

(ग) तुम्हारे बारे में जानने की एक सुदूर रूमानी संभावना बनी हुई है।

(घ) सारा बड़प्पन एक दम ऐसे निकल जाएगा जैसे सुई चुभने से गुब्बारा फुस्स हो जाता है।

(ङ) रोमांस बीच में ही खत्म हो जाता है।

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आजकल विवाह आदि उत्सव, समारोहों एवं रेस्तराँ में आज चार्ली चैप्लिन का रूप धरे किसी व्यक्ति से आप अवश्य टकराए होंगे। सोचकर बताइए कि बाजार में चार्ली चैप्लिन का कैसा उपयोग किया है?


आजकल विवाह आदि उत्सव, समारोहों एवं रेस्तराँ में आज चार्ली चैप्लिना उपयोग मेहमानों के अभिनंदन और हँसी-मजाक के रूप में किया जाता है।

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