(क) अनुप्रास-
(i) कटि किंकिनि के पुनि की मधुराई
(ii) सांवरे अंग लसै पट पीत।
(iii) हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
(iv) मंद हंसी मुखचंद जुलाई।
(v) जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर।
(ख) रूपक-
(i) मंद हंसी मुखचंद जुंहाई।
(ii) जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर।
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य कीजिए-
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।