General

राजा दाहिर – सिंध के सिंधी ब्राह्मण राजवंश के अंतिम राजा

राजा दाहिर सिंध के सिंधी ब्राह्मण राजवंश के अंतिम राजा थे। उनके समय में ही अरबों ने सर्वप्रथम सन 712 में भारत (सिंध) पर आक्रमण किया था। मोहम्मद बिन कासिम मिशन 712 में सिंध पर आक्रमण किया था जहां पर राजा दहिर ने उन्हें रोका और उनके साथ युद्ध लड़ा। उनका शासन काल 663 से 712 ईसवी तक रहा। उन्होंने अपने शासनकाल में अपने सिंध प्रांत को बहुत ही मजबूत बनाया। परंतु अपने राष्ट्र और देश की रक्षा के लिए उन्होंने उम्मेद शासन के जनरल मोहम्मद बिन कासिम की लड़ाई लड़ी और परंतु हार गए। 712 में सिंधु नदी के किनारे उनकी मौत हो गयी।

अलाफ़ियों की बग़ावत

ओमान में माविया बिन हारिस अलाफ़ी और उसके भाई मोहम्मद बिन हारिस अलाफ़ी ने ख़लीफ़ा के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी, जिसमें अमीर सईद मारा गया। ‘चचनामा’ के मुताबिक़ मोहम्मद अलाफ़ी ने अपने साथियों के साथ मकरान में पनाह हासिल कर ली जहां राजा दाहिर की हुकूमत थी। बग़दाद के गवर्नर ने उन्हें कई पत्र लिखकर बाग़ियों को उनके सुपुर्द करने के लिए कहा लेकिन उन्होंने अपनी ज़मीन पर पनाह लेने वालों को हवाले करने से इंकार कर दिया। हमले की एक वजह ये भी समझी जाती है।

चचनामा –

राजा दाहिर के बारे मे बहुत सी बाते चचनामा या फ़तहनामा नामक पुस्तक से ली जाती है। यह पुस्तक मूल अरबी से फारसी मे अनुवादित है। जब घटनाए घटित हुई उसके बाद लिखी गई थी। मुस्लिम शासक के कार्यकाल मे लिखी गई थी। इन सभी परिस्थितियो मे बहुत सी बाते संदेहात्मक है। पीटर हार्डे, डॉक्टर मुबारक अली और गंगा राम सम्राट ने भी इसमें मौजूद जानकारी की वास्तविकता पर शक ज़ाहिर किया है। जीएम सैय्यद ने लिखा है कि हर एक सच्चे सिंधी को राजा दाहिर के कारनामे पर फ़ख़्र होना चाहिए क्योंकि वो सिंध के लिए सिर का नज़राना पेश करने वालों में से सबसे पहले हैं। इनके बाद सिंध 340 बरसों तक ग़ैरों की ग़ुलामी में रहा, जब तक सिंध के सोमरा घराने ने हुकूमत हासिल नहीं कर ली।

राजा दाहिर का पतन और सिंध की गुलामी की शुरुआत

दाहिर सेन यानि राजा दाहिर का जब सिंध पर राज्य था तब का सिंध आज के हिसाब से, अफघानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, पंजाब और ईरान के कुछ हिस्से तक फैला हुआ था। भारतीय उपखंड पर इस्लाम फैलाने और खलीफा के राज्य विस्तार का यह प्रथम आक्रामक था। महमद बिन कासिम उस सेना का नायक था और आज के पाकिस्तान के सिंधु नदी के किनारे बसे नवाबशाह शहर के पास अरोरा मे युद्ध हुआ था।

युद्ध मे राजा दाहिर का वध हुआ और उनका सर काटके महमद बिन कासिम ने अपने खलीफा को सबूत के तौर पर भेजा था। यह दिन था 20 June 712 का। दाहिर की मृत्यु के बाद उस समय ज़्यादातर हिन्दू औरतों ने मुस्लिमो के हाथो बेईज्जत होने से बचने के लिए सामूहिक सती होना (अग्नि मे जलकर जान देना) पसंद किया था। यह पद्धति बाद मे राजपूत राज्यो मे जौहर के नाम से प्रचलित हुई। उनके बाकी बचे वंशजो को गुलामी मे धकेल दिया गया था।

Rina Gujarati

I am working with zigya as science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

More Posts - Website

Follow Me:

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

Recent Posts

Understanding Standard Form of Numbers: An Explanation With Examples

Through the standard form offers different advantages in mathematical calculations and scientific notation. Firstly, it…

5 months ago

How to deal with stress and anxiety in college

Introduction Stress is a feeling caused by an external trigger that makes us frustrated, such…

6 months ago

Why is Sociology Important These Days?

Sociology is a broad discipline that examines societal issues. It looks at the meaningful patterns…

6 months ago

How to Convert Inches to mm

Some info about Inch Inches are a unique measure that persuades us that even the…

8 months ago

Antilogarithms – Definition, Methods, and Examples

You should be familiar with logarithms to understand antilogarithms in a better manner. Logarithms involve…

10 months ago

नाटककार सुरेंद्र वर्मा

यहां "नाटककार सुरेंद्र वर्मा" पुस्तक की पीडीएफ विद्यार्थी, शोधार्थी और जो इसका अभ्यास के लिए…

10 months ago