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लू लगना  

गर्मी में सबसे बड़ी समस्या होती है लू लगना। उत्तरी भारत में गर्मियों में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में चलने वाली प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवाओं को लू कहतें हैं। इस तरह की हवा मई तथा जून में चलती हैं। गर्मियों के इस मौसम में लू चलना आम बात l लू लगना अंग्रेजी भाषा में इसे सनस्ट्रोक (Sun Stroke) भी कहते हैं। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने से या गर्म हवा के झोंकों से संपर्क में आने पर लू (Loo) लगने का डर अधिक होता है। गर्मी के महीनों में दोपहर के समय घर से बाहर निकलने पर तेज गर्म हवाओं के चलने और धूप की तेजी से लू लगने की अधिक संभावना होती है।
विज्ञान के अनुसार लु लगने का कारण अभिभूत थर्मोरेगुलशन होता है l हमारा  शरीर मतबोलिक क्रिया के द्वारा बॉडी का तापमान बढ़ता है और  गर्मीओं  के मौसम मे वातावरण का तापमान भी अत्यधिक होता है l जिससे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस (सामान्य) से कहीं अधिक हो जाता है। अगर शरीर का तापक्रम 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है  l इस कारण शरीर में गर्मी नियंत्रण की प्रक्रिया बन्द हो जाती है। इस क्रिया को लू लगना (Sun Stroke) कहते हैं। 
अगर शरीर का तापक्रम 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है, जिसमें शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग डैमेज हो जाते हैं। लू लगने के कारण दिमाग और आंतरिक अंगों को क्षति पहुंच सकती है। वैसे तो लू का शिकार अक्सर पचास से ऊपर की उम्र के लोग होते हैं लेकिन कई स्वस्थ खिलाड़ी भी इसका शिकार आसानी से हो जाते हैं। कम उम्र के लोगों में सेंट्रल नर्वस सिस्टम विकसित हो रहा होता है तो ज्यादा उम्र के लोगों में दूषित होता है, जिसके कारण इन दोनों को ही लू का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
तापमान का स्तर जयादा होने वजह से शरीर के द्रव (Body Fluids) सूखने लगते हैं। यानि डीहाइड्रैशन, शरीर से पानी और नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। सनस्ट्रोक स्ट्रोक का तुरंत इलाज ना कराने पर मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है। कई स्थितियों में मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है।

 

लू लगने के लक्षण
लु लगने के कारण आंख्नो मे जलन रहती है l ब्लडप्रेशर भी लो हो जाता है और लिवर – किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में बेहोशी भी आ सकती है। इसके अलावा लो बीपी , ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती हैl लू लगने पर शरीर में गर्मी , खुश्की , सिरदर्द , कमजोरी , शरीर टूटना , बार – बार मुंह सूख.ना , उलटी , चक्कर , तेज बुखार सांस लेने में तकलीफ , दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। लू लगने पर पसीना नहीं आता l शरीर का तापमान एकदम बढ़ जाता है। अक्सर बुखार बहुत ज्यादा मसलन 105 या 106 डिग्री फॉरनहाइट तक पहुंच जाता है l हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है l 


लू लगने पर प्राथमिक उपचार (First Aid for Sun Strokes in Hindi) 
 अगर किसी को लू लग जाए तो उसे निम्न तरीके से उपचार (First Aid Treatment for Heat Stroke) देने का प्रयास करना चाहिए: 
•    आहत व्यक्ति को पहले छांव में ला कर हवा का इंतजाम करें। गर्मी के कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है। छाया में लाने से शरीर का तापमान सामान्य आना शुरु हो जाता है।
•    उसको नमक शक्कर और पानी का घोल मुँह से पिलायें, उसके कपड़े निकालकर सिर्फ अंदरूनी वस्त्र रखें।
•    गीली चादर में लपेटकर तापमान कम करने का प्रयास करें। 

•    हाथ पैर की मालिश करें जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है।
•    संभव हो तो बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर गर्दन, बगलों और जांघों पर रखे। इससे गर्मी जल्दी निकलती है।
•    धूप में घर से बाहर निकलें तो छतरी का इस्तेमाल करें। नंगे बदन और नंगे पैर धूप में ना खड़े हों।
•    नींबू पानी, आम पना, छाछ, लस्सी, नारियल पानी, बेल या नींबू का शर्बत, खस का शर्बत जैसे तरल पदार्थ पिलाते रहे l

 

घरेलू इलाज
लू से बचने के कई घरेलू इलाज हैं, लेकिन लू लगने के बाद अगर शरीर का तापक्रम 104 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा है और शरीर में पानी की कमी है तो बिना अस्पताल में भर्ती किए इसका कोई इलाज नहीं है। गर्मी में हीट स्ट्रोक या लू से बचने के कई घरेलू इलाज हैं। 

प्याज का जूस (Onion Juice)
हीट स्ट्रोक का सबसे कारगर और असरदार घरेलू इलाज है प्याज। आयुर्वेद में यह सबसे ज्यादा अजमाया हुआ नुस्ख़ा है। कच्चे प्याज के रस को कान के नीचे और छाती पर लगाने से शरीर का तापक्रम कम होता है। कच्चे प्याज के जूस में जीरा पाउडर और शहद की बूंद डालकर पीना भी काफी फायदेमंद होता है लू में। गर्मी के महीने में लू से बचने के लिए एक टोटका यह भी है कि आप प्याज के एक टुकड़े को जेब में लेकर बाहर निकलें।

कच्चे आम का पना (Unripe mango juice)
कच्चे आम का जूस रामबाण है लू से बचाव में। कच्चे आम को उबाल कर या पका कर उसका गूदा निकाल लिया जाता है और फिर पानी के साथ गुड़, सौंफ, पुदीना और जीरा मिला कर पीएं। काफी असरदार होता है यह। शरीर का तापमान भी कम करता है और काफी ठंडक पहुंचाता है। कच्चे आम के गुदे का लेप भी शरीर पर लगाए जाते हैं।

इमली और गुड़ का देसी कोल्ड ड्रिंक (Tamarind Drink)
इमली में इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स की मात्रा काफी होती है। गर्मी में यह शरीर में इलेकट्रोलाइट्स की कमी को दूर करता है। इमली को मथ कर पानी में गुड़ के साथ घोल कर पीएं। लू में यह काफी असरदार है। राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में गुड़ और इमली को पानी में मिला कर पिया जाता है ताकि गर्मी सिर न चढ़े।

परहेज़
गर्मी के दिनों में कम से कम बाहर निकलकर लू से बचा जा सकता है। हालांकि अगर ऐसा संभव ना हो तो गर्मी के दिनों में अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए और खाली पेट घर से नहीं निकलना चाहिए।
•    ढीले और सूती कपड़े पहनें।
•    गर्मी से एकदम ठंडे कमरे में ना जाएं।
•    दिन में दो बार नहाएं।
•    हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें।
•    खीरा, ककड़ी, लौकी, तौरी जरूर खाएं।
•    ठंडे वातानुकूलित कमरे में रहें।
•    शरीर का तापमान तेज होने पर सिर पर ठंडी पट्टी रखें।

Rahul Kumar

Rahul Kumar is a member of Zigya's Science channel and oversees Chemistry as a subject. He has completed his Masters of Science in Chemistry from Punjab University. Rahul is always full of ideas and brings with him, the enthusiasm and charm to get people involved in them. Follow his work at www.zigya.com

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