विश्व पर्यावरण दिवस हम सालो से मनाते आ रहे है। वर्ष 2019-2020 की कोविड-19 महामारी से क्या हमारा नजरिया पर्यावरण के प्रति बदला है? जब यह महामारी से विश्व उभर जाएगा और अपनी रोजाना जिंदगी फिर शुरू होगी तब शायद इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा। इस महामारी के समय वैश्विक लोकडाउन के समय सारी मानवीय प्रवृत्तिओ पर रोक लगाने से अनेक नदियो के प्रदूषण या वायु प्रदूषण मे इतनि कमी देखि गई जितनी करोड़ो डॉलर के खर्च और सालो की महेनत के बाद भी नहीं देखि गई थी। आनेवाले समय मे हमे प्रकृति के दोहन मे विवेक और पर्यावरण तथा विकास का संतुलन बनाने मे अगर यह महामारी से कोई सीख मिलेगी तो शायद यह महामारी विश्व और मानवजात पर एक उपकार सिद्ध होगा।
विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया। 1987 में इसके केंद्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है।
इसमें हर साल 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए कवि अभय कुमार ने धरती पर एक गान लिखा था, जिसे 2013 में नई दिल्ली में पर्यावरण दिवस के दिन भारतीय सांस्कृतिक परिषद में आयोजित एक समारोह में भारत के तत्कालीन केंद्रीय मंत्रियों, कपिल सिब्बल और शशि थरूर ने इस गाने को पेश किया।
हम सब सारे उत्सव मनाते है, पर वास्तविक कार्य या परिणाम पाने मे पीछे रह जाते है। विश्व पर्यावरण दिवस के बारे मे भी यही सच है। आज सामान्य जनता जानती है की प्रदूषण का कारण क्या है, तब सरकरे और विषय निष्णात तो जानते ही है। सबसे बड़ी रुकावट मानव स्वभाव की वह खामी है की सब के लिए मै क्यू बलिदान दु। इसी बात पर कोई बलिदान के लिए आगे नहीं आता और पर्यावरण की हानी होती रहती है। दिल्ली मे जब प्रदूषण असह्य हो जाता है तो हम कई प्रवृत्तिओ पर नियंत्रण लगते है, ऐसा ही सभी देश और शहरो का है पर सभी एक साथ वही नियंत्रण काबुल नहीं करते। तकनीकी विकास और मानव सभ्यता की निरंतरता हमे यह शक्ति और सीख देंगे की हम अपने पर्यावरण को और उससे अपनी सभ्यता को बचा सके। अगली पीढ़ी को रहने लायक दुनिया देकर जाए।
Through the standard form offers different advantages in mathematical calculations and scientific notation. Firstly, it…
Introduction Stress is a feeling caused by an external trigger that makes us frustrated, such…
Sociology is a broad discipline that examines societal issues. It looks at the meaningful patterns…
Some info about Inch Inches are a unique measure that persuades us that even the…
You should be familiar with logarithms to understand antilogarithms in a better manner. Logarithms involve…
यहां "नाटककार सुरेंद्र वर्मा" पुस्तक की पीडीएफ विद्यार्थी, शोधार्थी और जो इसका अभ्यास के लिए…