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मदुराई मणि अय्यर – प्रसिद्ध कर्नाटक संगीत के गायक

Rina Gujarati 0
मदुराई मणि अय्यर

मदुराई मणि अय्यर (25 अक्टूबर 1912 – 8 जून 1968) एक कर्नाटक संगीत गायक थे, वे अपनी अनूठी शैली के लिए प्रसिद्ध थे। अपने समकालीन सेममनगुडी श्रीनिवास अय्यर और जी.एन. बालासुब्रमण्यम के साथ मदुराई मणि अय्यर को मिलाकर कर्नाटक संगीत की 20 वीं शताब्दी के पुरुष त्रिमूर्ति के रूप में जाना जाता है। वे शुरुआती आधी 20 वीं शताब्दी के दौरान सबसे अधिक प्रसिद्ध कर्नाटक गायकों में से एक थे। वे स्वर कल्पना, नेरवल और राग अलाप के गायन में अपने कुशल कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। उनके संगीत को आज भी उच्च कोटी का माना जाता है।

प्रारंभिक जीवन


मदुराई मणि अय्यर, जिनका मूल नाम सुब्रमण्यन था, का जन्म 25 अक्टूबर 1912 को मदुराई में एमएस रामास्वामी अय्यर और सुब्बुलक्ष्मी के यहाँ हुआ था। उनके पिता अदालत मे क्लर्क थे और प्रसिद्ध विद्वान पुष्पवनम के भाई थे, जो खुद एक महान शास्त्रीय संगीतकार थे।

संगीत में मदुराई मणि अय्यर की शिक्षा नौ साल की उम्र में शुरू हुई। उनके पहले गुरु श्री राजम भगवतार थे जो एट्टायपुरम रामचंद्र भागवत के शिष्य थे। राजम भगवतार के माध्यम से, वह महान संगीतकार और कांपोजिटर गायिकासिकमनी हरिकेसनल्लुर मुथैया भगवतार के संपर्क में आए, जिन्होंने मदुराई में संगीत विद्यालय श्री त्यागराज संगीत समिति की स्थापना की थी। मदुराई मणि अय्यर उस स्कूल के शुरुआती शिष्य बन गए।

पुरस्कार


अय्यर की विलक्षण प्रतिभाओं को उनकी कम उम्र में ही पहचान लिया गया था क्योंकि उन्हें उस समय के गणमान्य लोगों से विभिन्न सम्मान प्राप्त हुए थे। 1927 में, अवधी में कांग्रेस के सत्र में एक संगीत सम्मेलन हुआ। उस में महा वैद्यनाथ अय्यर की 72 रागमालाओं पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मणि के पिता ने रचना के सैद्धांतिक पहलू को उजागर किया जबकि मणि ने उसे गाया। पिता और पुत्र दोनों को एक साथ पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1944 में गणककलाधर, 1959 में संगीत कलानिधि, 1960 में राष्ट्रपति पुरस्कार, 1962 में इसाई पेरारिग्नार और कई अन्य सम्मान उन्हे मिले।

संगीत के उपरांत अन्य रुचि


मदुराई मणि अय्यर वास्तव में संगीत के दीवाने थे लेकिन उनकी अन्य रुचियां भी थीं और उनमें से एक अंग्रेजी भाषा थी। हालांकि उनकी स्कूली शिक्षा बीच मे ही छुट गई थी पर मदुराई मणि अय्यर ने इंग्लिश भाषा में महारत हासिल किया था। कहते है कि वे अपने घर माइलापुर से कॉन्नेमारा तक की सभी लाइब्रेरी मे अंग्रेजी किताबें ढूँढने जाते थे। उन्हे बर्नार्ड शॉ से बहुत प्यार था और चार्ली चैपलिन के वे प्रशंसक थे। अंग्रेजी और तमिल दोनों समाचारों के वे अनिवार्य श्रोता थे। मदुराई मणि अय्यर राजनीति के भी बहुत अच्छे पर्यवेक्षक थे।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

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