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आशुतोष मुखर्जी – बंगाल के ख्यातिलब्ध बैरिस्टर तथा शिक्षाविद

Rina Gujarati 0
आशुतोष मुखर्जी

आशुतोष मुखर्जी (1864-1924), बंगाल के ख्यातिलब्ध बैरिस्टर तथा शिक्षाविद थे। वे सन् 1906 से 1914 तक कोलकाता विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। उन्होंने बंगला तथा भारतीय भाषाओं को एम.ए. की उच्चतम डिग्री के लिए अध्ययन का विषय बनाया। भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी इनके पुत्र थे।

शिक्षा और व्यवसाय

आशुतोषजी का जन्म 29 जून सन् 1864 ई. को कलकत्ता में हुआ था। आपकी शिक्षा दीक्षा कलकत्ता में ही हुई। विश्वविद्यालय की शिक्षा पूर्ण हो जाने पर इनकी इच्छा गणित में अनुसंधान करने की थी किंतु अनुकूलता न होने के कारण कानून की ओर आकृष्ट हुए। तीस वर्ष की अवस्था के पूर्व ही आशुतोष मुखर्जी ने विधि में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर ली। सन. 1904 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए। देश के विधिविशारदों में इनका प्रमुख स्थान था। सन. 1920 ई. में कलकत्ता उच्च न्यायालय के प्रधान के पद पर भी कुछ समय तक कार्य किया। 2 जनवरी 1924 को श्री मुखर्जी ने इस पद से अवकाश ग्रहण किया।

कलकत्ता विश्वविद्यालय के साथ

विश्वविद्यालयीय, शिक्षा के मानदंड को स्थिर करने तथा तत्संबंधी आदर्शों की स्थापना के लिए श्री आशुतोष मुखर्जी का नाम राष्ट्र के इतिहास में अमर रहेगा। कलकत्ता विश्वविद्यालय को परीक्षा लेनेवाली संस्था से उन्नत कर शिक्षा प्रदान करनेवाली संस्था बनाने का मुख्य श्रेय उनको ही है। सन. 1906 से 14 तक तथा 1921 से 1923 तक आप कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाइसचांसलर रहे। विश्वविद्यालय के “फेलो” तो आप सन. 1889 से सन. 1924 तक बने रहे।

शिक्षा के क्षेत्र मे आजादी के लिए संगर्ष

बँगला भाषा को विश्वविद्यालयीय स्तर प्रदान कराने का श्रेय भी आपको ही प्राप्त है। कवींद्र रवींद्रनाथ टैगोर ने आशुतोष मुखर्जी के विषय में यह कथन किया था – “शिक्षा के क्षेत्र में देश को स्वतंत्र बनाने में आशुतोष ने वीरता के साथ कठिनाइयों से संघर्ष किया।” राष्ट्रीय शिक्षा की रूपरेखा स्थिर कर उसे आदर्श रूप में कार्यान्वित करे के लिए आपका सदा स्मरण किया जाएगा।

सन. 1924 ई. में श्री मुखर्जी का निधन हुआ।

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