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कनिष्क विमान हादसा – 23 June 1985 – केनेडा का सबसे बड़ा विमान हादसा

Rina Gujarati 0
कनिष्क विमान हादसा

‘आज के दिन साल 1985 में कनाडाई एक ऐसी खबर के साथ उठे जिसपर भरोसा नहीं हो रहा था और जिस खबर ने हमारे देश को गहरे सदमे में डाल दिया था।’ ये शब्द एक श्रद्धांजलि सभा मे केनेडा के प्रधान मंत्री ट्रूडो के है। वो जहां बोल रहे थे उस हादसे वाले स्थल पर हर साल श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन का किया जाता है। यह भयानक हादसा हुआ था केनेडा मे पर धमाके मे उड़ने वाला प्लेन भारतीय था।

23 June 1985

तारीख 23 जून 1985, एयर इंडिया फ्लाइट 182, बोइंग 747 प्लेन. फ्लाइट टोरंटो से चली। उसे लंदन होते हुए नई दिल्ली आना था। अटलांटिक महासागर के ऊपर एयरोप्लेन था, जमीन से ऊंचाई थी 31 हजार फीट। लंदन पहुंचने में कुछ ही देर थी, कि अचानक प्लेन में तेज धमाका हुआ। और प्लेन आग के गोले में बदल गया। जलता हुआ प्लेन आयरलैंड के पास समंदर में गिरा। जिसे दुनिया अब कनिष्क विमान हादसा 1985 से जानती है।

खालिस्तानी आतंकवादीओ का कृत्य

हवाई जहाज में बैठे सभी 307 पैसेंजर और 22 क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी। ये था बदला, 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में की गई सरकार की कार्रवाई का बदला। खालिस्तान की मांग कर रहे सिखों का भारत सरकार से ये बदला था। इसके बारे में लोगों को बाद में पता चला जब खालिस्तान की मांग कर रहे सिख कट्टरपंथियों ने बाद में इसकी जिम्मेदारी ली। ब्लास्ट के पीछे बब्बर खालसा ग्रुप था और कनाडा का एक ग्रुप भी उनसे मिला हुआ था।

एयर इंडिया के इस विमान का नाम भारत के महान सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था। इसलिए इसे कनिष्क विमान क्रैश नाम से जाना जाता है। कनिष्क, वो राजा जिसका साम्राज्य आधे चीन तक फैला हुआ था। इस लिए इसे कनिष्क विमान हादसा 1985 कहा जाता है।

साजिश के पीछे था ‘एम. सिंह’

टोरंटो से जन विमान चला तो प्लेन में एक पैसेंजर को चढ़ना था। जिसका नाम था ‘एम. सिंह.’ पर वो चढ़ा नहीं। उसका सूटकेस प्लेन में चढ़ा दिया गया। उस ‘एम. सिंह’ का न आज तक कोई पता चला है, न ही उसे पकड़ा जा सका है।

इस क्रैश के बाद नारिटा, टोक्यो में भी हुआ क्रैश

कनिष्क में ब्लास्ट के 55 मिनट बाद टोक्यो में नारिटा हवाई अड्डे पर भी एक बम ब्लास्ट हुआ था। जहां एयर इंडिया के दूसरे प्लेन को उड़ाने के लिए सामान में बम रख दिया गया था और चेक इन हो रहा था। उस ब्लास्ट में एयरपोर्ट के सामान उठाने वाले दो कर्मचारी मारे गए।

मॉडर्न कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार

कुल 329 लोगों की मौत इस प्लेन क्रैश में हुई. इनमें से 268 कनाडा के, 27 इंग्लैंड के, 10 अमेरिका के और 2 भारत के थे। और हवाई जहाज की क्रू में शामिल सभी 22 लोग भारतीय थे। यानी कुल 24 भारतीय इस दुर्घटना में मारे गए। मॉडर्न कनाडा की हिस्ट्री में सबसे बड़ा नरसंहार था।

20 साल जांच, 130 मिलियन डॉलर खर्च

20 साल इसकी जांच चली और 130 मिलियन डॉलर के लगभग पैसे खर्च हुए। ये कनाडा में किसी केस की सबसे महंगी जांच थी। और आखिर में पकड़ा गया एक गुनाहगार, दोषी इंद्रजीत सिंह रेयात। रेयात भी अब कनाडा की जेल से छूट गया है। रेयात ने बम ब्लास्ट के लिए डेटोनेटर, डायनामाइट और बैटरीज खरीदीं थी।

उसे दस साल की सजा हुई थी। रेयात को अदालत में झूठी गवाही देने के लिए भी नौ साल की जेल हुई थी। कनाडा में ऐसे किसी केस में मिली ये सबसे बड़ी सजा थी।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

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