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ज्यूसेपे मेत्सिनी – ‘इटली का स्पन्दित हृदय’

Rina Gujarati 0
ज्यूसेपे मेत्सिनी

राजाओ, जमीनदारो या संस्थानवादियो ने दुनियामे कहर ढाने मे कोई कमी नहीं रखी थी। समय इधर उधर हो सकता है, पर एशिया या यूरोप हर जगह दमन सामान्य जानो का हुआ था। शायद इसी लिए हमारे स्वतंत्र प्रेमी राष्ट्रवादियो ने यूरोप के राष्ट्रवादियो से भी प्रेरणा ली। इटली हमारे मुल्क जितना बड़ा नहीं है, पर राष्ट्रवाद का विचार बड़ा है। संयुक्त, एक स्वतंत्र इटली के लिए वैचारिक बीज डालने वाले और उस पर कार्य करने वाले ज्यूपेसे मेत्सीनी दुनिया मे बहुतों के आदर्श बने थे।

ज्यूसेपे मेत्सिनी (Giuseppe Mazzini ; 22 जून 1805 – 10 मार्च 1872) इटली का राजनेता, पत्रकार तथा एकीकरण का कार्यकर्ता था। इसको ‘इटली का स्पन्दित हृदय’ कहा जाता था। उसके प्रयत्नों से इटली स्वतंत्र तथा एकीकृत हुआ। वीर सावरकर मेत्सिनी को अपना आदर्श नायक मानते थे। लाला लाजपत राय मेत्सिनी को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। बाद मे लाला लाजपत राय ने मेत्सिनी की प्रसिद्ध रचना ‘द ड्यूटी ऑफ मैन’ का उर्दू मे अनुवाद किया ।

ज्यूसेपे मेत्सिनी 1805 में जेनोआ में पैदा हुए थे और कार्बारी के गुप्त समाज के सदस्य बन गए। 24 साल के एक युवा के रूप में लिगुरिया में क्रांति के प्रयास के लिए उन्हें 1831 में निर्वासन में भेज दिया गया था। उन्होंने मार्सिले में दो भूमिगत समाजों की स्थापना की- 1) युवा इटली। 2) बर्न में युवा यूरोप। मेत्सिनी का मानना था कि परमेश्वर ने राष्ट्रों को मानव जाति की प्राकृतिक इकाइयों के रूप में बनाने का इरादा किया था। राजतंत्र के विरोध में मैजिनी के अथक विरोध और लोकतांत्रिक गणराज्यों के उनके दृष्टिकोण ने रूढ़िवादियों को भयभीत कर दिया। 1830 में ऑस्ट्रिया के कुलाधिपति ड्यूक मेट्टर्निच ने उन्हें “हमारे सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन” बताया।

Rina Gujarati

I am working with zigya as a science teacher. Gujarati by birth and living in Delhi. I believe history as a everyday guiding source for all and learning from history helps avoiding mistakes in present.

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