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अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस – International Widow’s Day – 23 June

Pankaj Patel 0
अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस

अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस – International Widows Day पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 23 जून को मनाया जाता है। यह दिवस विधवा महिलाओं की समस्याओं के प्रति समाज में जागरुकता फ़ैलाने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस विधवाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है, जिससे पता चलता है कि उन्हें समाज में किस प्रकार की उपेक्षा एवं दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर नागरिक समाज संगठन भी समाज के इस उपेक्षित वर्ग की अनदेखी करते हैं।

हम भारतीय अपनी सभ्यता के लिए जाने जाते है। पर विधवाओ की स्थिति के बारे मे हमारे लिए गर्व करने जैसा कुछ भी नहीं। अंग्रेज़ो के समय से विधवा विवाह और स्त्रियो के अन्य अधिकारो के लिए कानून बने है। कानून से कुछ हद तक काम हो सकता है। जब समस्या सामाजिक हो तब सुधार धीरे से होता है। फिर भी हमारे समाज मे यह समस्या सदियो से है। विधवाओ की समस्या और साथ मे ही वृद्धो की समस्याए भी गंभीर है। समाज के एक वर्ग के प्रति अनदेखी करके कोई समाज तंदूरस्त नहीं रह सकता। ना ही विकास कर खुशहाल रह सकता है।

अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस 23 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधवाओं की स्थिति को विशेष पहचान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून, 2011 को पहली बार अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस की घोषणा की थी, जो प्रतिवर्ष मनाया जाएगा।

विधवाओं और उनके बच्चों से दुर्व्यवहार मानव अधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन और आज के विकास में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। दुनिया की लाखों विधवाओं को ग़रीबी, बहिष्कार, हिंसा, बेघर, बीमार स्वास्थ्य जैसी समस्याएं और क़ानून व कस्टम में भेदभाव सहन करना पड़ता है।

एक अनुमान के अनुसार 115 मिलियन विधवाएं ग़रीबी में रहती हैं और 81 मिलियन शारीरिक शोषण का सामना करती हैं।

एक अनुमान के अनुसार 40 मिलियन विधवाएं भारत में रहती हैं। 15000 विधवाएं उत्तर प्रदेश में मथुरा के पवित्र शहर वृंदावन की सड़कों पर अकेले रहती हैं।

आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है।

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