मानव तस्करी विरोधी दिन 30 जुलाई को दुनियाभर मे हर साल 30 जुलाई को मनाया जाता है। दुनिया मे गुलामी प्रतिबंधित हुए दशक हो गए, पर मानव तस्करी से कुछ लोगो का जीवन गुलामो जैसा ही बाद से बदतर हो जाता है। युद्धग्रस्त मुल्क, गृहयुद्ध ग्रस्त मुल्क और अस्थिर समाजो मे मानव तस्करी बड़े पैमाने पर है, लेकिन जहां एसी परिस्थितिया नहीं है, वहाँ भी मानव तस्करी होती है। बच्चे, नाबालिग लड़किया, स्त्रियो और पुरुषो की भी तस्करी होती है। हर मनुष्य को सम्मान पूर्वक जीने मे यह बहुत बड़ी अडचण है। हम सबको इसका पुरजोर और परिणामदायी विरोध करना चाहिए। 30 July यानि मानव तस्करी विरोधी दिन इसी लिए मनाया जाता है।
मानव तस्करी एक ऐसा अपराध है जो महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को जबरन श्रम और सेक्स सहित कई उद्देश्यों के लिए शोषण करता है। 2003 से संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) ने दुनिया भर में पाई जाने वाली तस्करी के लगभग 225,000 पीड़ितों के बारे में जानकारी एकत्र की है। विश्व स्तर पर देश अधिक पीड़ितों का पता लगा रहे हैं और रिपोर्ट कर रहे हैं, और अधिक तस्करों को दोषी ठहरा रहे हैं। यह पीड़ितों की पहचान करने की क्षमता में वृद्धि और / या तस्करी पीड़ितों की संख्या में वृद्धि का परिणाम हो सकता है।
दुनिया का हर देश मानव तस्करी से प्रभावित है, चाहे वह मूल देश हो, पारगमन, या पीड़ितों के लिए गंतव्य। दुनिया भर के तस्करों ने महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाना जारी रखा। यौन शोषण के लिए तस्करी की शिकार पीड़ितों की विशाल संख्या और जबरन श्रम के लिए तस्करी करने वालों में 35 फीसदी महिलाएं हैं। संघर्ष कमजोरियों को और बढ़ा देता है, सशस्त्र समूह नागरिकों और जालसाजों का शोषण करते हुए जबरन विस्थापित लोगों को निशाना बनाते हैं। डेटा से यह भी पता चलता है कि तस्करी हमारे चारों ओर होती है क्योंकि अपने ही देश में तस्करी करने वाले व्यक्तियों की हिस्सेदारी हाल के वर्षों में दोगुनी हो गई है।