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करोति यः परद्रोहं जनस्यानपराधिनः । तस्य राज्ञः स्थिरापि श्रीः समूलं नाशमृच्छति ॥

Pankaj Patel 0
करोति यः परद्रोहं जनस्यानपराधिनः । तस्य राज्ञः स्थिरापि श्रीः समूलं नाशमृच्छति ॥

करोति यः परद्रोहं जनस्यानपराधिनः ।
तस्य राज्ञः स्थिरापि श्रीः समूलं नाशमृच्छति ॥

भावार्थ:

एक राजा (या शासक) जो अकारण ही परद्रोही होता है वह अपनी प्रजा की दृष्टि मे एक अपराधी के समान होता है, और ऐसे राजा की स्थिर कीर्ति और संपत्ति का भी अन्ततः समूल विनाश हो जाता है।

English

Karoti yah paradroham janasyaanaparaadhinah.
Tasya raagyh sthiraapi shreeh samoolam naashamrucchati.

A King (or a ruler), who, without any valid reasons harms his subjects, is considered a guilty by the people, and even his stable wealth and respect in the society is ultimately destroyed.

(इससे पहले का सुभाषित – कः कालः कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ । कश्चाहं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः ॥ )

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

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