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उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे नरे । पश्य वानर मूर्खेण सुगृही निगृही कृता ॥

Pankaj Patel 0
उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे नरे । पश्य वानर मूर्खेण सुगृही  निगृही  कृता ॥

उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे नरे ।
पश्य वानर मूर्खेण सुगृही निगृही कृता ॥

भावार्थ:

बुद्धिमानी इसी में है कि हर किसी को बिना मांगे उपदेश या राय नहीं देनी चाहिये। देखो किस प्रकार मूर्ख बन्दर ने ‘सुगृही ‘ पक्षी को गृहविहीन कर दिया था।

(इस सुभाषित में जिस कथा का संदर्भ दिया गया है वह् इस प्रकार है – एक भयङ्कर तूफान में एक बन्दर ठण्ड से सिकुड कर एक पेड की डाल पर बैठा हुआ था। उसी डाल पर एक बया का घोंसला भी लटका हुआ था।
बन्दर को भीगते हुए देख कर बया ने उस से कहा कि मजबूत हाथों के होते हुए भी तुमने अपने लिये एक आश्रय स्थल क्यों नहीं बनाया। इस बात पर क्रुद्ध हो कर बन्दर ने बया का घोंसला भी तोड दिया। इस कथानक का तात्पर्य यह है कि उपदेश हर किसी को बिना मांगे कभी नहीं देना चाहिये।)

English

Upadesho na daatavyo yaadrushe taadrushe nare.
pashya vaanar moorkhena sugrahe nigrahee krutaa.

One should not give (unsolicited) advice to anybody whosoever. Look! What the foolish monkey did to ‘sugrahee’ bird, by destroying its beautiful nest and making it homeless.

(Here the reference is to a fable about a monkey and a bird known for its beautifully crafted nests dangling firmly from the branches of trees. During a winter storm a monkey was shivering on a branch of a tree, whereas the bird was cosily settled inside its nest. Seeing the pitiable condition of the monkey, the bird gave advice to the monkey as to why he did not construct a shelter for himself, he being better equipped to do so Enraged by this unsolicited advice, instead of appreciating it, the monkey broke down the nest of the bird, thus making it also homeless. So, the moral of the story is that unsolicited advice should not be given to all and sundry, which may even cause harm to the giver of the advice)

(इससे पहले का सुभाषित – अविद्यानाशिनी विद्या भावना भय नाशिनी । दारिद्र्य नाशनं दानं शीलं दुर्गति नाशनं ॥ )

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

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