Press "Enter" to skip to content

नाटककार सुरेंद्र वर्मा

Pankaj Patel 0
नाटककार सुरेंद्र वर्मा

यहां “नाटककार सुरेंद्र वर्मा” पुस्तक की पीडीएफ विद्यार्थी, शोधार्थी और जो इसका अभ्यास के लिए उपयोग करना चाहते हैं, उनके लिए नि:शुल्क प्रस्तुत करते हुए आनंद का अनुभव कर रहा हूं।
“नाटककार सुरेंद्र वर्मा” डॉ. अशोक पटेल का पीएचडी के लिए लिखा गया शोध प्रबंध है। इस किताब में नाटककार सुरेंद्र वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व, नाट्य साहित्य की संक्षिप्त विकास रेखा, स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटककारों के नाटकों का संक्षिप्त परिचय, भारतीय और पाश्चात्य दृष्टिकोण से रंगमंच का स्वरूप, हिंदी रंगमंच का अभ्युदय और स्वातंत्र्योत्तर हिंदी नाटककारों में सुरेंद्र वर्मा का स्थान निर्धारित करने का प्रयत्न किया है।

सुरेंद्र वर्मा के नाटक

  1. तीन नाटक –
    (सेतुबंध, नायक खलनायक विदूषक, द्रोपदी)
  2. सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक
  3. आठवां सर्ग
  4. छोटे सैयद बड़े सैयद
  5. एक दुनी एक
  6. शकुंतला की अंगूठी
  7. कैद ए हयात

नाट्यधर्मिता के समानांतर ही प्रयोगधर्मिता को भी स्वीकार करने की तीव्र ललक सुरेंद्र वर्मा में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है । खासतौर पर जब नाट्यशिल्प को नए सिरे से गढ़ने की बात करनी हो तो संभवतः सुरेंद्र वर्मा का नाम प्रथम पंक्ति के नाटककारों में शुमार करना समीचीन है, क्योंकि मंचीय संभावनाओं को नजर अंदाज करके नाट्य रचना करना सुरेंद्र वर्मा को किसी भी लिहाज से स्वीकार्य नहीं है । उन्होंने अपनी रचनाओं में न केवल ऐतिहासिक पौराणिक एवं समसामयिक परिवेश को वाणी दी बल्कि कथ्य के साथ-साथ कलात्मकता, संवेदना, दृश्यबंद, नाटकीयता, सुचारूता, संप्रेषणीयता, नाटकीयभाषा, प्रकाश – व्यवस्था, निर्देशक की सूझबूझ आदि का बड़ी बारीकी से ध्यान रखा जिसका सुखद परिणाम हमारे सामने है।

इस शोध प्रबंध में नाटककार सुरेंद्र वर्मा के नाटकों का आस्वादमूलक परिचय, पात्रों का चरित्र चित्रण, परिवेश, संवेदनाएं, नाटकीय शिल्प, दर्शकीय प्रभाव का मूल्यांकन किया है।


इस शोध प्रबंध में सुरेंद्र वर्मा के कहानीकार, उपन्यासकार, एकांकीकार, व्यंग्यकार और नाटककार के रूप को प्रस्तुत किया है, किंतु उनका नाटककार उनके साहित्यकार पर हावी है, यह सिद्ध किया है।

पुस्तक की PDF पढ़ने या डाऊनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे।

Pankaj Patel

कक्षा 12 मे जीव विज्ञान पसंद था फिर भी Talod कॉलेज से रसायण विज्ञान के साथ B.sc किया। बाद मे स्कूल ऑफ सायन्स गुजरात युनिवर्सिटी से भूगोल के साथ M.sc किया। विज्ञान का छात्र होने के कारण भूगोल नया लगा फिर भी नकशा (Map) समजना और बनाना जैसी पूरानी कला एवम रिमोट सेंसिंग जैसी नयी तकनिक भी वही सीखी। वॉशिंग पाउडर बनाके कॅमिकल कारखाने का अनुभव हुआ तो फूड प्रोसेसिंग करके बिलकुल अलग सिखने को मिला। मशरूम के काम मे टिस्यु कल्चर जैसा माईक्रो बायोलोजी का काम करने का सौभाग्य मिला। अब शिक्षा के क्षेत्र मे हुं, अब भी मै मानता हूँ कि किसी एक क्षेत्र मे महारथ हासिल करने से अलग-अलग क्षेत्रो मे सामान्य ज्ञान बढाना अच्छा है। Follow his work at www.zigya.com

More Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *